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पेश है हास्य अभिनेता संजय मिश्रा के फिल्मी संघर्ष की पूरी कहानी

By Bollywood halchal | Oct 06, 2020

बॉलीवुड में लोगों को सफलता जरूर मिलती है लेकिन उनकी सफलता के पीछे की कहानी और संघर्ष को बहुत कम लोग ही जानते हैं। तो चलिए आज एक ऐसे ही शख्स से आपको रूबरू करवाते हैं जिन्होंने लगभग एक सैकड़ा से ज्यादा फिल्में करने के बाद भी इंडस्ट्री छोड़ने का मन बना लिया था यहां तक कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री छोड़ भी दी थी। 

जी हां आज हम आपको कॉमेडी के बादशाह रहे संजय मिश्रा के जीवन से जुड़ी तमाम जानकारियां आपको देने जा रहे हैं। हिन्दी सिनेमा और टीवी जगत में अपनी एक्टिंग की जादूगरी दिखाने वाले संजय ने काफी संघर्ष किया तब जाकर उनकी इमेज बतौर अभिनेता विकसित हुई। 

आज संजय मिश्रा का जन्मदिन है और उनके जन्मदिन पर हम आपको उनके जीवन में कब और कौन-सी घटनाएं घटित हुईं इस पर विस्तार से जानकारी देंगे। मूलतः बिहार के दरभंगा जिला से ताल्लुक रखने वाले संजय मिश्रा के पिता पेशे से पत्रकार थे शंभूनाथ मिश्रा का नाम उन दिनों बड़े और काबिल पत्रकारों में शुमार हुआ करता था और संजय के दादाजी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हुआ करते थे। लेकिन संजय ने अपने दादा और पिताजी से जुदा करियर का चुनाव किया। क्योंकि इनका परिवार इनके बचपन के दिनों में बनारस शिफ्ट हो गया था इसलिए इनकी पढ़ाई भी बनारस के केन्द्रीय विद्यालय से ही सम्पन्न हुई।  

शुरुआती शिक्षा के बाद संजय ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया साथ ही यहीं से उनके एक्टिंग करियर की शुरुआत भी हुई। पहली बार टीवी के रुपहले पर्दे पर चाणक्य सीरियल काम करने का मौका मिला। लेकिन पहली ही बार अपने पहले टेक में कई बार रीटेक लिए।

संजय का फिल्मी करियर 
साल 1995 में 'ओह डार्लिंग ये है इंडिया' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले संजय मिश्रा ने कई फिल्मों में काम किया, प्रसिध्द टीवी सीरियल ऑफिस-ऑफिस में संजय मिश्रा की एक्टिंग को काफी सराहना मिली थी। फिल्म अपना सपना मनी मनी और बंटी बबली जैसी फिल्मों में संजय की कला देखने को मिली। लगातार एक सैकड़ा फिल्मों में काम करने के बावजूद उन्हें मनचाही सफलता नहीं मिली तब संजय ने फिल्म इंडस्ट्री से किनारा भी कर लिया था लेकिन ऐसा उन्होंने कुछ ही समय के लिए किया। 

जब संजय ने फिल्म लाइन छोड़ने का मन बनाया
क्योंकि जब सब्र का बांध टूट जाता है तब आदमी कुछ न कुछ अलग करने की ठान ही लेता है ठीक ऐसा ही संजय ने भी सोचा और फिल्म लाइन में सफल एक्टर का ताज न मिल पाने की वजह से ये लाइन छोड़ देने का फैसला कर लिया। दरअसल सफलता भी नहीं मिली थी और संजय के पिताजी की मौत भी उसी दरम्यान हो गई, संजय अपने पिता से बेहद लगाव रखते थे। आखिरकार संजय ने फिल्म लाइन को अलविदा कहते हुए किनारा कर लिया। 

फिल्मी जगत को छोड़ कहां गए थे संजय 
ये भी एक दिलचस्प कहानी है कि कहां एक्टिंग का कीड़ा संजय के भीतर छुपा हुआ था और कहां उन्होंने शेफ का काम चुनते हुए एक ढावे में काम करना चालू कर दिया था। संजय ने कई दिनों तक ढावे में बतौर शेफ काम किया वहां लोग उन्हें नहीं पहचान सके क्योंकि तब संजय इतने मशहूर नहीं हुआ करते थे जितने अब हैं। 

फिर कैसे फिल्मी जगत में संजय की हुई एन्ट्री
रोहित शेट्टी जाने-माने निर्माता व निर्देशक हैं जिन्होंने संजय के साथ कई फिल्मों में काम किया था या यों कहें कि संजय की प्रतिभा से परिचित थे। गोलमाल फिल्म में रोहित ने संजय को कास्ट किया था और उनकी एक्टिंग स्किल से बखूबी परिचित थे। उन्होंने संजय को दोबारा फिल्म लाइन में आने के लिए मना लिया। रोहित ने संजय को अपनी अगली ही फिल्म ऑल द बेस्ट में काम दिया। 

संजय मिश्रा का परिवार
संजय की पत्नी का नाम किरन मिश्रा है जिनसे उन्हें दो बच्चे भी हैं जिनका नाम क्रमशः पाल मिश्रा और लम्हा मिश्रा है।

संजय मिश्रा की फिल्में 
इन्होंने बंटी और बबली, सत्या, दिल से, गोलमाल, अपना सपना मनी मनी, गुरु, धमाल, अतिथि तुम कब जाओगे, गोलमाल रिटर्न, क्रेजी4, चला मुसद्दी ऑफिस-ऑफिस, सन ऑफ सरदार, दम लगा के हईशा़, बॉस, जॉली एलएलबी जैसी दमदार फिल्मों में काम किया और अपनी अदाकारी से आखिरकार अपनी पहचान बतौर कॉमेडियन बना ली जिसके लिए उन्होंने खासा मेहनत भी की।  



     
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