व्यक्ति के अंदर निहित गुण और कला उसकी पहचान दुनिया से करवाती है। आज भारत में कई ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपने कला के प्रदर्शन से लाखों लोगों का दिल जीत लिया है। गुजराती परिवार में जन्मे संजीव अपने जीवन की शुरुआत अभिनय की दुनिया में करना चाहते थे। करियर की शुरुआत फ़िल्म जगत में उन्हें पहला मौका, मशहूर फ़िल्मकार एस. मुखर्जी ने उन्हें यह शानदार मौका दिया था।
अपनी दमदार अदाकारी से हिंदी सिनेमा जगत में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले दिग्गज अभिनेता संजीव कुमार का पूरा करियर सबके लिये एक मिसाल है। उन्होंने अपने अभिनय की वजह से बहुत ही कम समय में हिंदी फ़िल्मों की दुनिया में अपना नाम कमाया था। उनकी लोकप्रियता भी काफी कम समय में बढ़ी थी। संजीव कुमार ने लगभग 25 सालो तक फ़िल्मों की दुनिया में राज किया था।
संजीव कुमार ने न केवल फ़िल्मों में अपने अभिनय की वज़ह से ढेर सारे अवार्ड्स कमाए है बल्कि उनके हिंदी सिनेमा में दिए गए योगदान की वजह से भी उन्हें कई और बड़े- बड़े सम्मानों से सम्मानित किया गया है। यहाँ तक सूरत और गुजरात में तो संजीव के नाम से रोड बनाई गई थी, जिसका नाम ‘संजीव कुमार मार्ग’ रखा गया और सूरत में ही एक स्कूल का नाम भी संजीव कुमार के नाम पर रखा गया था।
प्रारंभिक जीवन
09 जुलाई 1938 को सूरत, बॉम्बे (जो आज गुजरात में है) में जन्में संजीव कुमार एक गुजराती परिवार से संबंधित थे। उनका बचपन सूरत में ही बिता। इसके बाद अचानक से उनके परिवार ने मुंबई में रहने का मन बनाया और संजीव अपने परिवार के साथ मुंबई में रहने लगे। संजीव कुमार ने मुंबई में एक फ़िल्म स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ से उन्हें बॉलीवुड में पहला कदम रखने में आसानी हुई।
संजीव के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा उनके दो छोटे भाई और एक बहन है। संजीव कुमार का नाम पहले ‘हरिहर जेठालाल जरीवाला’ था, सब प्यार से उन्हें ‘हरिभाई’ भी बुलाया करते थे। फ़िल्म इंडस्ट्री में आने से पहले संजीव ने अपना नाम ‘हरिहर’ से बदल कर ‘संजीव कुमार’ रखा।
निजी जीवन
संजीव कुमार ने शादी नहीं की थी और ना ही उन्होंने कभी किसी को डेट किया था। साल 1973 में संजीव ने अभिनेत्री 'हेमा मालिनी' को शादी का प्रस्ताव दिया था, जिसे हेमा ने मना कर दिया था। इसके बाद भी संजीव कुमार और हेमा मालिनी एक अच्छे दोस्तों की तरह एक दूसरे से बात किया करते थे।
संजीव कुमार के खास दोस्तों की बात करें तो अभिनेता राजेश खन्ना, शशि कपूर, देवन वर्मा, शिवजी गणेसन, बी. नेगी रेड्डी, अभिनेत्री हेमा मालिनी और शर्मीला टैगोर, संजीव कुमार के बहुत खास और करीबी दोस्त थे।
इन सबके अलावा सचिन, पिलगाओंकर और सारिका भी उम्र में छोटे होने के बावजूद संजीव के बहुत करीब हुआ करते थे। एक सफल कलाकार होने के बाद भी संजीव कुमार को इस बात का जरूर मलाल था, कि हेमा मालिनी ने उनके प्यार को ठुकरा कर धर्मेंद प्रधान से विवाह कर लिया था, किसी एक तरफा की याद में संजीव कुमार ने कभी विवाह नहीं किया।
करियर और फ़िल्में
संजीव कुमार ने अपने अभिनय को सबसे पहले स्टेज से शुरू किया था।फिर उन्होंने ‘पीआईटीए’, मुंबई और फिर ‘इंडियन नेशनल थिएटर’ में अभिनय को किया था। फिर उन्होंने होंने अपनी 22 साल की उम्र में ‘आल माय सन्स’ प्ले में एक बूढ़े व्यक्ति का किरदार निभाया था। संजीव कपूर को अक्सर अपनी उम्र से बड़े किरदारों को दर्शाते हुए देखा गया था।
फिर संजीव कुमार को ‘डमरू’ नाम के प्ले में एक 60 साल के व्यक्ति का किरदार दर्शाते हुए देखा गया, जिसके 6 बच्चे थे। यह किरदार भी दर्शको को खूब पसंद आया। थिएटर में अपने अभिनय को दर्शाते- दर्शाते संजीव को फ़िल्मों में अभिनय के लिए प्रस्ताव आने लगे।
1960 में संजीव कुमार ने अपना डेब्यू बॉलीवुड फ़िल्म में किया और उनकी पहली फ़िल्म का नाम "हम हिंदुस्तानी" था। इस फ़िल्म में उन्हें एक छोटे से किरदार को निभाते हुए देखा गया था। वर्ष 1965 में संजीव ने अपना पहला मुख्य किरदार फ़िल्म "निशानय" में निभाया था।
वर्ष 1968 में संजीव कुमार ने लोकप्रिय अभिनेता "दिलीप कुमार" के साथ फ़िल्म ‘संघर्ष’ में अभिनय किया। इस फ़िल्म को दर्शको द्वारा बहुत पसंद किया था। फिर वर्ष 1969 में संजीव कपूर ने अभिनेता 'शम्मी कपूर' और अभिनेत्री 'साधना' के साथ फ़िल्म ‘सच्चाई’ में भी अपने अभिनय किया।
संजीव कपूर ने ‘दस्तक’, ‘कोशिश’, ‘अर्जुन पंडित’, ‘त्रिशूल’, ‘खीलोना’, ‘यही है ज़िंदगी’, ‘नया दिन नई रात’, ‘देवता’, ‘राम तेरे कितने नाम’, ‘कटी’, ‘शिकार’, ‘उलझन’, ‘तृष्णा’, ‘पति पत्नी और वो’, ‘अंगूर’, ‘बीवी-ओ-बीवी’, ‘हीरो’, ‘शोले’ जैसी बड़ी बड़ी फ़िल्मों में अपने अभिनय किया था।
संजीव के अवार्ड्स
संजीव को साल 1971 में फ़िल्म ‘दस्तक’ के लिए ‘नेशनल फ़िल्म अवार्ड्स फॉर बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला, साल 1973 में फ़िल्म ‘कोशिश’ के लिए ‘नेशनल फ़िल्म अवार्ड्स फॉर बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला, साल 1974 में उन्हें फ़िल्म ‘कोशिश’ के लिए ‘बीएफजेए बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला और साल 1976 में उन्हें फ़िल्म ‘आंधी’ के लिए ‘फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स फॉर बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला और साल 1977 में फ़िल्म ‘अर्जुन पंडित’ के लिए ‘फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स फॉर बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला था।
साल 2014 में सूरत, गुजरात में संजीव कुमार को सम्मानित करते हुए एक ऑडिटोरियम को बनाया गया था। इस ऑडिटोरियम का नाम ‘संजीव कुमार ऑडिटोरियम’ रखा गया था। यह तब तक का पहला ऐसा सम्मान था जो उस वक़्त किसी भी फ़िल्म अभिनेता को नहीं दिया गया था। इस ऑडिटोरियम के उद्घाटन के लिए स्वंय प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ सूरत पहुंचे थे और इसका उद्घाटन किया था।
संजीव कुमार की मौत
संजीव कुमार महज 47 वर्ष के उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। उनकी मौत मुंबई में हुई थी।दिल का दौरा पड़ने करने के कारण 6 नवंबर 1985 को संजीव की मौत हो गई थी। संजीव कुमार की मौत के बाद उनके फैन्स काफी दुखी हुए और उनके फिल्मों को खूब याद किया गया था।