जानिए 90 के दशक में बॉलीवुड के सबसे बड़े और मशहूर खलनायक कौन थे?
ऐसा माना जाता है कि फिल्में हीरो की वजह से चलती है। उनका रोल बहुत अहम माना जाता है परंतु उतना ही अहम और जरूरी किरदार विलन का भी माना जाता है। एक फिल्म तभी सफल होगी जब उसमें हीरो और विलन दोनों हो क्योंकि खलनायक को नष्ट करने से उन्हें पूरा उद्देश्य मिलता है। आज हम आपको 90 के दशक के उन पांच बड़े विलन के बारे में बताएंगे जो बॉलीवुड में अपने खलनायक किरदार की वजह से मशहूर हुए और उनके फैन उनके खलनायक के ही दीवाने हैं।
1.अमजद खान जो भारत सिनेमा के दिग्गज अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मों में खलनायक की भूमिकाओं के लिए लोकप्रियता हासिल की, जो 1975 के क्लासिक शोले में प्रतिष्ठित गब्बर सिंह और मुकद्दर का सिकंदर में दिलावर के रूप में प्रसिद्ध थी। उन्होंने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत एक थिएटर अभिनेता के तौर पर की जिसके बाद उनकी पहली भूमिका फिल्म नाजनीन (1951) में दिखी। उन्होंने लगभग बीस वर्षों के करियर में 130 से अधिक फिल्मों में काम किया। 3 फिल्मफेयर अवार्ड और 1 बीएफजेए पुरस्कार से सम्मानित हुए और हजारों प्रशंसा हासिल करी। देस परदेस, नास्तिक, सत्ते पे सत्ता, गंगा की सौगंध, नसीब कुछ ऐसी फ़िल्में हैं जिनमें मुख्य प्रतिपक्षी की उनकी भूमिका को व्यापक रूप से सराहा गया।
2.फिल्मी जगत के मशहूर अभिनेता अपनी सदी के सबसे बड़े खलनायक कहे जाने वाले अमरीश पुरी के बारे में एक बार हॉलीवुड के महान निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग ने एक बार कहा था, “अमरीश मेरे पसंदीदा खलनायक हैं ना कभी दुनिया ने इनके इनके जैसा देखा होगा और न देखेगी"। 500 से अधिक फिल्में कर चुके अमरीश पुरी ने अपनी जिंदगी में कई अहम और दिलचस्प रोल किए जैसे दामिनी में बैरिस्टर चड्डा, करण अर्जुन में ठाकुर दुर्जन सिंह, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में चौधरी बलदेव सिंह। उन्हें पहली बार ब्लॉकबस्टर फिल्म 'हम पंछी' में मुख्य प्रतिद्वंद्वी वीर प्रताप सिंह के रूप में देखा गया था। इसके बाद अमरीश पुरी ने बॉलीवुड उद्योग में खलनायक के रूप में खुद को स्थापित किया। अपने फिल्मी कैरियर में अमरीश पुरी 4 बार फिल्मफेयर अवार्ड और कई अन्य पुरस्कारों से नवाजे गए।
3.हम(1991) में बख्तावर और अग्निपथ (1990) में कांचा का रोल करने वाले डैनी डेन्जोंगपा 90 के दशक के स्टाइलिश और शानदार खलनायक थे। उन्होंने बी.आर.चोपड़ा के धुंध(1973) में ठाकुर रंजीत सिंह की पहली मुख्य भूमिका निभाई। अपने फिल्म करियर में उन्होंने 200 से ऊपर फिल्में की जिनमें से कुछ बॉलीवुड के पर्दे पर छा गई।अपने जीवन में उन्हें दो बार सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का पुरस्कार मिला। 2003 में डेन्जोंगपा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।अंधी तोफान (1986), भगवान दादा (1986), अग्निपथ (1990), हम (1992), क्रांतिवीर (1994) कुछ ऐसी फ़िल्में हैं जिनमें मुख्य प्रतिपक्षी की उनकी भूमिका को व्यापक रूप से सराहा गया।
4.शक्ति कपूर मशहूर भारतीय अभिनेताओं में से एक हैं जो हिंदी फिल्मों में खलनायक और हास्य भूमिका के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने बॉलीवुड के सफर की शुरुआत 1977 में फिल्म खिलाड़ी से की। उन्होंने अपने पूरे करियर में 700 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है।1995 में सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का पुरस्कार उन्हें मिला वह 2011 में भारतीय रियलिटी शो बिग बॉस में प्रतियोगी रहे बाप नंबरी बेटा दस नम्बरी, अंदाज़ अपना अपना, बोल राधा बोल कुछ ऐसी फ़िल्में हैं जिनमें मुख्य प्रतिपक्षी की उनकी भूमिका को व्यापक रूप से सराहा गया।
5.बॉलीवुड के "बैडमैन" के रूप में लोकप्रिय गुलशन ग्रोवर एक भारतीय अभिनेता हैं, जो हिंदी और अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा में दिखाई दिए हैं। 1980 में फिल्म हम पंछी से अपने करियर की शुरुआत करने वाले गुलशन ने अपने पूरे करियर में कुछ प्रतिष्ठित नकारात्मक किरदारों को चित्रित किया है। 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके गुलशन ग्रोवर, पहले अभिनेताओं में से हैं जिन्होंने बॉलीवुड से हॉलीवुड और अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा पर भी अपनी छाप छोड़ी । अपने करियर में एक बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और स्टारबस्ट पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं । (1983) राम लखन (1989), कुर्बान (1991), राजा बाबू (1994), खिलाडियों का खिलाड़ी कुछ ऐसी फ़िल्में हैं जिनमें मुख्य प्रतिपक्षी की उनकी भूमिका को व्यापक रूप से सराहा गया।
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